आज मानव प्रतिस्पर्धा और व्यस्तता के कारण अध्यात्म से दूर होता चला जा रहा है।

 


अंबेडकर नगर। टांडा अध्यात्म और उमंग का प्रत्यक्ष चित्रण ऐतिहासिक, धार्मिक व पौराणिक कथाओं के स्मरण और उनका पूर्ण निष्ठा एवं पूर्ण वास्तविकता के भाव से खूबसूरत चित्रण कर मन को प्रफुल्लित और उमंग से भर देना ही वास्तविक कलां है। जिसके माध्यम से ज्ञान, अध्यात्म, भक्ति, सत्कर्मो और कर्तव्यों का बोध होता है। आज मानव प्रतिस्पर्धा और व्यस्तता के कारण अध्यात्म से दूर होता चला जा रहा है। जबकि वास्तविक रूप में अध्यात्म ही वह शक्ति है जिससे हम संसार की समस्त रहस्यों एवं दिव्यता को ग्रहण कर परमआनंद के साथ सदाचार और सत्कर्मो से ईश्वर के निकट पहुंचकर वास्तविक ज्ञान को प्राप्त कर सकते है। हमारे निकट इन्ही उद्देश्यों के प्राप्ति हेतु उक्त बातें  दौलतपुर गांव श्री लालता प्रसाद दुबे के यहां श्रीराम कथा के माध्यम से पूज्य दीदी माँ शैल कुमारी द्वारा कही गई हमारे ह्रदय के द्वार खोलने के उद्देश्य आयोजित कथा में विहिप के प्रांत सत्संग प्रमुख श्याम बाबू जी ने भी श्रीराम जी चरित्र का वर्णन करते हुए कहा आज समाज धर्म से विमुख होता चला ज रहा है यही सबसे बड़ा कारण है हम आपस मे एक होने के बजाय बिखराव वाली स्थित में होते चले ज रहे है भगवान राम अगर अपने पुत्र धर्म का पालन न करते और अपनी माँ कैकेई के आदेश का पालन न करते तो शायद वो एक राजा राम बनकर रह जाते पर पुत्र धर्म का निर्वाहन करके उन्होंने राजमहल का परित्याग किया और समाज के साथ खड़े हुये सन्त महात्मा ऋषि मुनियों के सुख दुख का हिस्सा बनकर दुनिया के सबसे बड़े आताताई रावण का  बध कर जब अयोध्या वापस लौटे तो केवल राजा राम नही कहलाये तब उन्हें लोगो ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहा हमे। ही धर्म के मार्ग पर चलकर अपने को मानव से महामानव बनाने के तरफ अग्रसर होने की सिख श्रीराम के चरित्र से सीखनी चाहिए
इस अवसर पर आनन्द जायसवाल,मैकू,रामजीत कन्नौजिया,राजमन वर्मा,सुरेंद्र अभिषेक गुप्ता सहित हजारो भक्तो ने श्रीराम जी के भगवत नाम चर्चा में सम्मलित होकर जीवन कृतार्थ किया।