होली पर विशेषः आध्यात्मिक प्रेम की पराकाष्ठा है ब्रज की होली



मथुरा।बृज की होली  आध्यात्मिक प्रेम की  पराकाष्ठा है तन पर रंग की वर्षा से शरीर ही  रंगता है  लेकिन  ब्रज में होने वाली प्रेम की वर्षा से जीव के अंदर ईश्वरीय प्रेम जागृत हो जाता है इस भूमंडल पर अखिल ब्रह्मांड के स्वामी श्री कृष्ण द्वारा की गई रसमय लीलाओं से यह ब्रज रंगा हुआ है श्रीकृष्ण की लीलाओं से  समस्त विश्व  परिचित है पर ब्रज में नटखट नंदकिशोर लीलाधारी श्री कृष्ण द्वारा की गई लीला अलग है श्रीकृष्ण के मन की बात को उनके साथ रहने वाले सखा भी नहीं जान पाते ब्रज में की गई दिव्य लीलाओं को जानने के लिए चराचर जगत की स्वामिनी श्री राधा रानी की कृपा से ही यह सब संभव हो पाता है इसीलिए रसिक जनों ने किशोरी जी की महिमा का वर्णन अपने पदों में किया है जो कृष्ण के मन की बात को जान जाए उसे ही राधा कहते हैं जिसे कोई नहीं जान पाया श्री राधा ने उसको भी नचाया बृज की होली इसका जीता जागता उदाहरण है बरसाना मैं इस समय होली का आनंद चहु ओर छाने लगा है देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु आगामी तीन चार मार्च को लड्डू होली एवं लट्ठमार होली के आनंद को लेने के लिए अपने अपने जुगाड़ को बनाने में लगे हुए हैं कोई धर्मशाला में तो कोई होटल में कोई कोई तो ब्रज वासियों के घर पर ही शरणार्थी बना हुआ है राधा कृष्ण की इस रसमयी लीला के लिए सभी लालायित है लाडली जी मंदिर परिसर में होली का गायन किया जा रहा है


-विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली को लेकर होरियारिन प्रेक्षा गोस्वामी का कहना  है इस बृज की  लट्ठमार होली को खेलते हुए मुझे 8 वर्ष हो चुके हैं हर बार होली खेलने पर नई अनुभूति प्राप्त होती है इस होली को देखने के लिए ब्रह्मा आदि देवता भी तरसते हैं हम  बृज गोपी नंदगांव से आने वाले प्यारे श्याम सुंदर का इंतजार करती हैं जब उनके सखा हम से हास्य विनोद करते हैं तो हम अपनी प्रेम पगी लाठी से उनको मजा चखाती हैं जिसके लिए यह लट्ठमार होली प्रसिद्ध है