बस्ती । पूर्व आईएएस मेधा संस्थापक स्व0 लक्ष्मीकान्त शुक्ल को उनक 67 वें जन्म दिन पर मंगलवार को कोराना वायरस लॉक डाउन के चलते सादगी के साथ याद किया गया। मेधा प्रवक्ता दीन दयाल त्रिपाठी ने अपने आवास पर आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में कहा कि छात्रों को आर्थिक आधार पर शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति की सुविधा, जाति मुक्त संविधान की परिकल्पना देने वाले लक्ष्मीकान्त को सेवा काल में ही जाति राज पुस्तक लिखने के कारण बसपा की सरकार में उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। उनकी किताब जातिराज को तत्कालीन सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया इसके बावजूद वे डिगे नहीं और शिक्षा, जातिगत आरक्षण के सवाल पर सड़क से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक आखिरी सांस तक लड़ते रहे।
डीडी तिवारी ने कहा कि यदि लक्ष्मीकान्त शुक्ल के संकल्पों, सिद्धान्तों का दृढता से पालन हो तो अनेक समस्याओं का समाधान हो जायेगा। कहा कि मेधा उनके सपनों को पूरा करने की दिशा में निरन्तर प्रयत्नशील है, जब तक जाति मुक्त संविधान का सपना पूरा नहीं होता संघर्ष अनवरत जारी रहेगा। कहा कि वर्ष 2017 से सामान्य और पिछड़ो वर्ग के छात्रों को दशमोत्तर छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति निजी शिक्षण संस्थानों एवं कुछ सरकारी शिक्षण संस्थानों में भी नहीं मिल सका है। कोराना संकट समाप्त होने के बाद इस दिशा में निर्णायक संघर्ष किया जायेगा।
बताया कि लॉक डाउन के कारण अनेक मेधा पदाधिकारियों उमेश पाण्डेय ‘मुन्ना’ अंकेश पाण्डेय, अंकुर पाण्डेय, राहुल तिवारी, रूद्रेश पाण्डेय नीलेश, अतुल तिवारी, प्रवेश शुक्ल, नन्हें पाल, संजय सिंह, अनिल सिंह आदि ने अपने घरों पर पूर्व आईएएस मेधा संस्थापक स्व0 लक्ष्मीकान्त शुक्ल को उनक 67 वें जन्म दिन पर याद करते हुये श्रद्धांजलि अर्पित किया।
जन्म दिन पर याद किये गये मेधा संस्थापक लक्ष्मीकान्त शुक्ल