लखीमपुर-खीरी कोरोना वायरस जैसी गंभीर महामारी से आम जनमानस के बचाब व जागरूक करने के लिए जहां देश प्रदेश के मुखिया पुलिस प्रशासन को जरूरत की सभी चीजें मुहैया करवा रहा है वही दूसरी ओर भारत का चैथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया कर्मियों के लिए शासन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई भी सुरक्षा व सुविधाएं मुहैया नही करवाई गई है जो कि कोरोना वायरस से जनता को जागरूक करने में बगैर किसी लालच के दिन रात मीडिया कर्मी लगे हुए हैं।जिनके लिए देश व प्रदेश की सरकार के द्वारा अभी तक कोई सुरक्षा व सुविधाएं नही दी गई है।मीडिया कर्मी दिन रात भूखे प्यासे रहकर कवरेज करने में लगे हैं। कवरेज के लिए निकलने पर गाड़ी में पेट्रोल भी अपनी जेब से भरवाना पड़ता है। मीडिया कर्मी के परिवार वालों को शायद यह भी नही पता कि शाम तक सही सलामत बापस पहुचेंगे या नहीं। इस सम्बन्ध में मीडिया संगठन प्थ्ॅश्र ने वीडियो मीडिया सम्मेलनों के लिए सुझाव दिए हंै।
नई दिल्ली में इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (प्थ्ॅश्र) ने सभी मीडिया हाउस और सरकारों से कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि मीडियाकर्मी और उनके परिवार को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए 21 दिनों की लॉकडाउन अवधि के दौरान किसी भी कठिनाई का सामना न करना पड़े। प्थ्ॅश्र ने भी लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों में रहकर कोरोनविरस की घातक महामारी को पराजित करें। एक बयान में आईएफडब्ल्यूजे अध्यक्ष बी.वी. मल्लिकार्जुनैह और उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी ने सुझाव दिया है कि अधिकारियों को सम्मेलनों में मीडिया व्यक्तियों की भौतिक उपस्थिति से बचना चाहिए क्योंकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा संबोधित किया जा सकता है। यह भी देखा गया है कि अधिकांश टीवी चैनलों और अखबारों के स्टूडियो और कार्यालयों में मीडियाकर्मियों के लिए बैठने की व्यवस्था मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार नहीं है, जो एक व्यक्ति के बीच लगभग दो मीटर की दूरी के लिए निर्धारित है और दुसरी। आईएफडब्ल्यूजे के दोनों नेताओं ने कहा है कि यह मीडिया हाउसों की जिम्मेदारी है कि सभी कर्मचारियों की सुरक्षा और सुरक्षा के लिए कार्यालयों में पूरी तरह से स्वच्छ व्यवस्था की जाए। आईएफडब्ल्यूजे ने उन समस्याओं की ओर प्रधान मंत्री का ध्यान आकर्षित किया है जो मीडियाकर्मियों को अपने कर्तव्यों के ईमानदारी से प्रदर्शन में सामना कर रहे हैं। चूंकि मीडिया के लोग राष्ट्रीय और सामाजिक सेवा कर रहे हैं, इसलिए, उन्हें अपने परिवार के सदस्यों के दिन-प्रतिदिन के तनाव से प्रभावित नहीं होना चाहिए। सभी आवश्यक वस्तुओं को उनके घरों पर पहुंचाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए क्योंकि उन्हें अपने परिवारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए मुश्किल से ही समय मिल पाता है। आईएफडब्ल्यूजे ने यह भी मांग की है कि सरकार और मीडिया घरानों को मीडियाकर्मियों को अतिरिक्त मौद्रिक और सामग्री प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए, जो एक बड़े व्यक्तिगत जोखिम पर अपने कर्तव्यों से जुड़े रहते हैं। कुछ पत्रकार संगठनों के पदाधिकारियों प्रमुख रूप से जनपद में एसोसियेशन आफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स आफ इंडिया के अध्यक्ष सत्यदेव श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार पत्रकारों को भी प्रतिमाह गुजारे लायक धनराशि प्रति माह मुहैया कराये जिससे उनका व उनके परिवारों का भरण पोषण हो सके और वह चिन्ता मुक्त होकर अपने कार्यों को अंजाम दे सकें। ऐसी आपदा के समय तो सरकार तत्काल सहायता राशि पत्रकारों को भी उपलब्ध कराये जिससे वह भी भरण पोषण से चिन्ता मुक्त हो सकें।
मीडिया कर्मियों को भी सुविधा मुहैया कराये सरकार-सत्यदेव