स्वामी दयानंद सरस्वती ने आम जनमानस को वेद का महत्व बताया

बस्ती । महर्षि दयानन्द सरस्वती ने वेद को सार्वदेशिक व सार्वभौमिक बताते हुए मानवमात्र के कल्याण के सबको वेद पढ़ने व पढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त कराया जिससे समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने में बड़ी सहायता मिली और समाज के उपेक्षित वर्ग को भी सम्मान और स्वाभिमान से जीने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होने शिक्षा का जो आदर्श प्रस्तुत किया वह अनुकरणीय है। उक्त बातें महेश शुक्ल जिलाध्यक्ष भजपा ने स्वामी दयानन्द विद्यालय सुर्तीहट्टा बस्ती में आयोजित वार्षिकोत्सव के अवसर पर बच्चों का उत्साहवर्द्धन करते हुए कही। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ ईश्वर स्तुतिप्रार्थना उपासना से हुआ तत्पश्चात स्वागत गीत, भजन, लोक गीत प्रस्तुत कर बच्चों ने दर्शकों का मन मोह लिया। मुख्य अतिथि ने कहा कि वास्तव में महर्षि दयानन्द ने सत्य को ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने की कसौटी समाज को दी है। वेद को विज्ञान की कसौटी पर खरा बताते हुए उन सन्दर्भोे को भी रखा जिन्हे पहले पौराणिक या काल्पनिक कहा जाता रहा। आज वैदिक गणित खगोल शास्त्र, ज्यातिष शास्त्र विज्ञान के चक्षु के रूप में संसार में प्रकाश प्रवाहमान करा रहा है। इस अवसर पर छोटे बच्चों ने हम नन्हे मुन्ने बच्चे है गीत प्रस्तुत कर दर्शकों मन मोह लिया तो स्वामी दयानन्द के जीवन पर आधारित नाटक प्रस्तुत कर लोगों को अन्ध्विश्वास से दूर हट कर सत्य को जानने व मानने का सन्देश दिया। बेटे का सम्मान है गीत प्रस्तुत कर बेटे व बेटी में फर्क न करने का सुझाव दिया। इसके अलावा क्षेत्रीय लोकगीत, रक्तदान पर आधारित नाटक, कव्वाली, लोकनृत्य, लोकगीत व अच्युतम केशवम् गीत कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण रहे। इस अवसर पर प्रबन्धक ओम प्रकाश आर्य ने कहा कि आर्य समाज के सिद्धान्तों से प्रभावित होकर क्रान्तिकारियों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। इसके अलावा भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, राम प्रसाद बिस्मिल, मंगल पाण्डेय, सावरकर, लाला लाजपत राय जैसे क्रांन्तिकारियों की एक लम्बी फौज तैयार करने में आर्य समाज के विद्यालयों का बड़ा योगदान है। विद्यार्थी के हृदय में स्थापित किये गये सकारात्मक विचार उन्हे आगे चलकर आदर्श नागरिक बनने में सहायता करता है और वह अपने देश व धर्म के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने को प्रतिक्षण तैयार रहता है। इस अवसर पर संचालिका एकता गुप्ता ने बच्चों के विकास में माताओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्हें बच्चों की संस्कारयुक्त शिक्षा के लिए प्रेरित किया। शिक्षा के साथ साथ मानव सेवा की प्रेरणा बच्चों को विद्यालय से ही मिलती है। प्रधानाध्यापक आदित्य नारायण गिरि ने कहा कि शिक्षक व अभिभावक के सुयक्त प्रयास से बच्चों को संस्कारयुक्त शिक्षा दी जा सकती है जिससे आगे चलकर बालक देश का सुयोग्य नागरिक सिद्ध हो सकता है। इस अवसर पर हिमेश निषाद व हुमैरा खानम को बेस्ट स्टूडेन्ट आफ द ईयर का अवार्ड दिया गया तो शिक्षकों में दिनेश कुमार मौर्य को बेस्ट टीचर आफ द ईयर का अवार्ड दिया गया। अम्बिका प्रसाद उपाध्याय को समर्पित शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया तो आदित्य नारायण गिरि को कुशल नेतृत्व के लिए प्रबन्धक ओम प्रकाश आर्य द्वारा सम्मानित किया गया।  
कार्यक्रम में मुस्कान, अनुष्का, आर्यन, मानसी,यामिनी, नैना, कुमकुम, शिवांगी, आॅचल, काजल, दुर्गा, आंशी, शालिनी, जाह्नवी, अनामिका, राधिका, खुशी, रोहन, हिमेश, सक्षम, राज, सोनू, अमर, राजा बाबू, सौरभ, शिवम, आदित्य, शिवांशु, रितिक, इशिका, शर्मिष्ठा, प्रज्ञा, अरुषि, महक, प्रखर, परी, अंशिका, मानवी, लक्ष्मी, प्रिया, अवन्तिका, आन्या, अकृति, पिंकी, अमन, वैष्णवी, पीयूष, प्रगिति, यशस्वी, अंकित, मयंक, सक्षम, साक्षी, सुमन, निहारिका, कुलदीप, सुमित, सौरभ, रौनक, विकास, कुमुद, रेनुका, आस्था आदि बच्चों ने भाग लिया।
अंत में प्रधानाध्यापक गरुणध्वज पाण्डेय ने उपस्थित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। वैद्य अजय चौधरी, शत्रुघ्न पाण्डेय, अरविन्द श्रीवास्तव, अनूप कुमार त्रिपाठी, देवव्रत आर्य, सी एल यादव, आनन्द राजपाल, नन्दकिशोर साहू, सूर्य कुमार शुक्ल, डा0 प्रवेश कुमार, रामयज्ञ मिश्र, राधेश्याम कसेरा, कंचनलता आर्य, रश्मि आर्य, अलखनिंजन आर्य, ओंकार आर्य, दृशिका आर्य, रजनी, रश्मि, अर्चना शोभा आर्य, पुष्पेन्द्र राजपूत, त्रिलोकीनाथ, अनूप कुमार त्रिपाठी, देवव्रत आर्य, आदित्य नारायण गिरि द्वारा पुरस्कार वितरण के पश्चात कार्यक्रम समाप्त हुआ।