जयन्ती पर याद किये गये महाराणा प्रताप

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बस्ती । महाराणा प्रताप का 479 वां जन्म दिन शनिवार को कोरना संक्रमण के खतरे और लॉक डाउन को देखते हुये सादगी और श्रद्धा के साथ मनाया गया। सिविल लाइन्स स्थित प्रताप चौक पर   महेश चन्द्र सिंह के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित जनों ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद उनके योगदान पर संक्षेप में चर्चा कर  योगदान पर प्रकाश डाला।  
समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश सचिव वरिष्ठ नेता कृष्ण चन्द्र सिंह ने कहा कि  महाराणा प्रताप को धन-दौलत, गहनों से ज्यादा मान-सम्मान की फिक्र थी। प्रतिष्ठा के आगे उन्होंने कभी भी घुटने नहीं टेके।  ऐसे महापुरूषों के स्मरण और उनके बताये मार्ग पर चलकर ही देश की एकता, अखण्डता अक्षुण्ण रहेगी। उनके विचारों से नई पीढी को अवगत कराये जाने की जरूरत है।  कहा कि कोरोना संक्रमण काल में ऐसे महापुरूषों से प्रेरणा लेने की जरूरत है जिन्होने अनेक विपत्तियों का सामना करते हुये विजय हासिल किया।  
महेश चन्द्र सिंह ने कहा कि  महाराणा प्रताप  भारत के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी थे।  जिस समय भारतीय जमीन पर मुगल शासक अकबर राज करने की कोशिश कर रहा था, उस वक्त अनेक राजाओं ने तो उनके आगे घुटने टेक दिए, लेकिन महाराणा प्रताप ने ऐसा नहीं किया। ऐसे महापुरूषों का जीवन संघर्ष नई पीढ़ी तक पहुंचे यह हम सबकी जिम्मेदारी है।
 ए.पी.एन. पी.जी. कालेज छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष  अमन प्रताप सिंह  ने महाराणा प्रताप के साहस, शौर्य और समर्पण पर प्रकाश डालते हुये कहा कि उनके जीवन से प्रेरणा लेने के साथ ही नई पीढी को उनके विचारों, योगदान से परिचित कराने की आवश्यकता है। कहा कि कम योद्धा होने के बाद भी 1582 में मुगलों और राजपूतों में युद्ध हुआ और राजपूतों ने मुगलों को पराजित कर मेवाड़ की जमीन पर कब्जा जमाया। ऐसे महापुरूष को नमन् है।
महाराणा प्रताप के 479 वें जन्म दिन पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण  करने वालों में पूर्व प्रमुख बेचूं सिंह, अजय सिंह, अशोक सिंह कटरूआ, इं. अक्षय प्रताप सिंह, डा. आनन्द प्रताप सिंह, डा. अक्षय प्रताप सिंह, बलराम तिवारी, मुन्नर प्रसाद, डा. ऋषभ प्रताप सिंह आदि शामिल रहे।